Khwaja Garib Nawaz bharat kab aaye: ख्वाजा गरीब नवाज मोइनुद्दीन चिस्ती रहमतुल्लाह अलैह जिन्हे ख्वाजा गरीब नवाज के नाम से भी जाना जाता हैं आप हिंदुस्तान के सब से बड़े वाली हैं, आप 587 हिजरी बामुताबिक 1191 ईसवी में भारत तशरीफ लाए थे।
ख्वाजा गरीब नवाज़ भारत कब आए ?
हज़रत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (रहमतुल्लाह अलैह), जिन्हें ख्वाजा गरीब नवाज के नाम से जाना जाता है, 12वीं शताब्दी के सबसे बड़े सूफी संतों में से एक थे। आप 1191-1192 ईस्वी के आसपास में हिंदुस्तान तशरीफ़ लाएं ।
आपके हिंदुस्तान आने का सफर आपके पीर और मुर्शिद हज़रत ख्वाजा उस्मान हारूनी (रहमतुल्लाह अलैह) के निर्देश पर हुआ। उनके वफ़ात के बाद, आपने हिंदुस्तान का रुख किया।
आपका जन्म ईरान के सिस्तान में हुआ था, और अपनी इब्तदाई तालीम वहीं हासिल की। आला इस्लामी और आध्यात्मिक तालीम हासिल करने के लिए आपने बगदाद और शाम का सफर किया।
ख्वाजा गरीब नवाज ने अपनी तालीम और अपने एक बेहतरीन एखलक के जरिए लोगो को इस्लाम की तालीम दी। लोगो में जो इस्लाम को लेके गलत फैमियां थी उसको दूर किया।
बताया जाता हैं की आपका एखलाक इतना आला थी की कोई भी गैर मुस्लिम अगर आपकी महफिल में बैठता था तो इस्लाम कबूल कर लेता था ।
इसीलिए हिंदुस्तान में ये मशहूर हैं की हिंदुस्तान में इस्लाम फैलाने में सूफियों का एक बड़ा योगदान हैं इस में सब से ज्यादा योगदान ख्वाजा गरीब नवाज का माना जाता हैं। आपने हिंदुस्तान में बहुत से लोगो को इस्लाम की सही तालीम दी और उन्हें इस्लाम की तरफ बुलाया आपसे अल्लाह ने दीन का बहुत काम लिया और आप सभी काम में कामयाब रहे।
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ख्वाजा गरीब नवाज भारत कैसे आएं ?
ख्वाजा गरीब नवाज ईरान के सिस्तान शहर से भारत आए थे आइए जानते हैं कैसे?
ख्वाजा गरीब नवाज मुइनुद्दीन चिस्ती का जन्म ईरान के सिस्तान शहर में हुआ था आपके वालिद का नाम सय्यद ग्यासुद्दीन था।
आपने अपनी इब्तादाई तालीम ईरान के शहर सिस्तान में ही हासिल की थी फिर मजीद तालीम के लिए आपने बगदाद शाम का रुख किया था।
बगदाद में ही आपने चिस्तिया सिलसिले के बुजुर्ग हजरत ख्वाजा उस्मान हारूनी से बैयत की फिर ख्वाजा उस्मान हारूनी ने आपको भारत आने का हुक्म दिया और आप अपने पीरों मुर्शीद हजरत ख्वाजा उस्मानी के हुक्म पर अमल करते हुए 1191 ईसवी में आपने इराक के बगदाद से भारत का सफर किया।
बगदाद से सफर करते हुए आप अफगानिस्तान पहुंचे वहा हेरात और गज़नी में ठहरकर आपने वहा के सूफी संतों से मुलकात की और आगे का सफर स्टार्ट किया। अफ़ग़ानिस्तान के बाद आप पाकिस्तान के लाहौर पहुंचे और वहा कुछ दिन रुकने बाद। दिल्ली का रुख किया दिल्ली पहुंचने के बाद आपने वहा के सूफी संतों से मुलाकात की। और अपनी तालीमात पैगाम को फैलाते हुए आप अजमेर शरीफ पहुंचे।
और अजमेर शरीफ को ही आपने अपने स्थायी निवास के रूप में चुना और यही बस गए। जब आप अजमेर शरीफ पहुंचे उस वक़्त अजमेर में पृथ्वी राज चौहान का राज था।
अजमेर में हुई थी वफात।
इस्लाम के लिए बहुत से काम करने के बाद लाखों लोगो को इस्लाम की तरफ बुलाने के बाद 633 हिजरी 1236 ईसवी को अजमेर की सरजमीन पर 93 साल की उम्र में आपकी वफात हो गई जहां पर अजमेर में आपकी वफात हुई वहा पर आपकी दरगाह आज भी मौजूद हैं और ये हिंदुस्तान की सब से मशहूर और सब से बड़ी दरगाह हैं।
जब से लेके आज तक हर साल राजस्थान के शहर अजमेर में ख्वाजा गरीब नवाज रहमतुल्लाह अलैह का उर्स होता हैं।
इस साल 31 दिसम्बर से अजमेर के ख्वाजा गरीब नवाज रहमतुल्लाह अलैह का 813 वा उर्स स्टार्ट होगा होगा।
उम्मीद हैं की आप समझ गए होंगे कि ख्वाजा गरीब नवाज हिंदुस्तान कब आएं थे अगर अब भी आपका कोई सवाल हैं तो आप कमेंट करके पूछ सकते हैं इंशाअल्लाह आपके सवाल का जवाब लाज़मी दिया जाएगा ।
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