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kunde ki fatiha ka tarika: कुंडे की फातिहा का आसान तरीका आसान अल्फ़ाज़ में।

kunde ki fatiha ka tarika: कुंडे की फातिहा का आसान तरीका आसान अल्फ़ाज़ में।

kunde ki fatiha ka tarika: हर साल रजब की 22 और 16 तारीख को दुनिया भर में खास करके हिंदुस्तान में कुंडे मनाये जाते हैं। इस मौके पर सुन्नी मुस्लिम अपने घरों में खीर पूरी बनाते हैं और उस पर कुंडे की फातिहा करवाते हैं। आइये जानते हाँ कुंडे की नियाज़ की फातिहा का तरीका क्या हैं। ताकि आप भी अपने घर में आसानी के साथ कुंडे की नियाज़ पर फातिहा कर लें।

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कुंडे की फातिहा किसके नाम से होती हैं ?

kunde ki fatiha kiske naam se hoti hai: कुंडे की फातिहा इमाम जाफ़र सादिक़ के नाम से होती हैं। क्योंकि इन्ही के याद में कुंडे की नियाज़ करवाई जाती हैं।

कुंडे की फातिहा का तरीका

kunde ki niyaz ki fatiha ka tarika: कुंडे की नियाज़ की फातिहा करने के लिए सबसे पहले घर में किसी भी साफ़ जगह पर बैठ जाएँ। और हो सकने तो जानमाज़ पर बैठे और सामने शिन्नी (कुंडे की नियाज़ ) वगैरा रख लें जिसपे आप कुंडे की फातिहा करवाना चाहते हैं। खुसबू के लिए हों सकें तो अगरबत्ती सुलगा लें या अतर लगा लें और फिर फातिहा शुरू करें ।

सबसे पहले दो से तीन मर्तबा दरूद शरीफ पढ़े। उसके बाद कोई भी एक सूरे पढ़े आप चाहे तो आयतल कुर्शी , अहदनामा, सूरे जुमा भी पढ़ सकते हैं। यहाँ मै आयतल कुर्शी लिख दें रहा हूँ आप इसे भी पढ़ सकते हैं या कोई भी छोटे सूरे भी जैसे सूरे क़ुरैश भी पढ़ सकते हैं।

आयतल कुर्शी अरबी

ٱللَّهُ لَآ إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَ ٱلْحَىُّ ٱلْقَيُّومُ ۚ لَا تَأْخُذُهُۥ سِنَةٌۭ وَلَا نَوْمٌۭ ۚ لَّهُۥ مَا فِى ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَمَا فِى ٱلْأَرْضِ ۗ مَن ذَا ٱلَّذِى يَشْفَعُ عِندَهُۥٓ إِلَّا بِإِذْنِهِۦ ۚ يَعْلَمُ مَا بَيْنَ أَيْدِيهِمْ وَمَا خَلْفَهُمْ ۖ وَلَا يُحِيطُونَ بِشَىْءٍۢ مِّنْ عِلْمِهِۦٓ إِلَّا بِمَا شَآءَ ۚ وَسِعَ كُرْسِيُّهُ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضَ ۖ وَلَا يَـُٔودُهُۥ حِفْظُهُمَا ۚ وَهُوَ ٱلْعَلِىُّ ٱلْعَظِيمُ ٢٥٥

अल्लाहु ला इलाहा इल्ला हुवा अल-हय्युल क़य्यूम , ला ता’खुदुहु सिनातुन वा ला नवम , लहु मा फी अस-समावती वा मा फिल-अर्ज़ । मन जल लज़ी यश फ़ऊ इनदहू इल्ला बि इज़निह। यअलमु मा बैना अय दीहिम वमा खल्फहुम। वला यूहितूना बिशय इम मिन इल्मिही इल्ला बिमा शा. .. अ वसि अ कुरसिय्यु हुस समावति वल अर्ज़
वला यऊ दुहू हिफ्ज़ुहुमा वहुवल अलिय्युल अज़ीम।

इसके बाद एक बार क़ुल या अय्योहल काफिरून यानि सूरे काफिरून पढ़ें:

قُلْ يَـٰٓأَيُّهَا ٱلْكَـٰفِرُونَ ١ لَآ أَعْبُدُ مَا تَعْبُدُونَ ٢ وَلَآ أَنتُمْ عَـٰبِدُونَ مَآ أَعْبُدُ ٣ وَلَآ أَنَا۠ عَابِدٌۭ مَّا عَبَدتُّمْ ٤ وَلَآ أَنتُمْ عَـٰبِدُونَ مَآ أَعْبُدُ ٥ لَكُمْ دِينُكُمْ وَلِىَ دِينِ ٦

कुल या अय्योहल काफ़िरून। ला अअबुदु मा तअबुदुन। व ला अन्तुम आबिदु न मा अअबुदू। व ला अ न आबिदु माँ अबतुम। व ला अन्तुम आबिदु न मा अअबुदू। लाकुम दिनकुम व ली या दीन।

इसके बाद तीन बार सूरे एखलाक यानि कुल हुवल लाहु अहद पढ़े:

قُلْ هُوَ ٱللَّهُ أَحَدٌ ١ ٱللَّهُ ٱلصَّمَدُ ٢ لَمْ يَلِدْ وَلَمْ يُولَدْ ٣ وَلَمْ يَكُن لَّهُۥ كُفُوًا أَحَدٌۢ ٤

कुल हुवल्लाहु अहद। अल्लाहुस समद। लम यलिद वलम यूलद। वलम यकुल लहु कुफुवन अहद।

इसके बाद एक बार सूरे फलक यानि क़ुल आउज़ु बिरब्बिल फलक पढ़े:

قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ ٱلْفَلَقِ ١ مِن شَرِّ مَا خَلَقَ ٢ وَمِن شَرِّ غَاسِقٍ إِذَا وَقَبَ ٣ وَمِن شَرِّ ٱلنَّفَّـٰثَـٰتِ فِى ٱلْعُقَدِ ٤ وَمِن شَرِّ حَاسِدٍ إِذَا حَسَدَ ٥

क़ुल आउज़ु बिरब्बिल फलक। मिन शररी मा ख़लक़। वामिन शरीर ग़ासिकिन इज़ा वक़ब। वमिन शररिन नफ़ फ़ासाति फ़िल उक़द। वमिन शररि हासिदिन इज़ा हसद।

इसके बाद एक बार सूरे नास यानि कुल आऊजु बी रब्बिल नास पढ़े।

قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ ٱلنَّاسِ ١ مَلِكِ ٱلنَّاسِ ٢ إِلَـٰهِ ٱلنَّاسِ ٣ مِن شَرِّ ٱلْوَسْوَاسِ ٱلْخَنَّاسِ ٤ ٱلَّذِى يُوَسْوِسُ فِى صُدُورِ ٱلنَّاسِ ٥ مِنَ ٱلْجِنَّةِ وَٱلنَّاسِ ٦

कुल आऊजु बिरब बिन नस। मालिकिन नास। इलाहिन नास। मिन शर रिल वसवासिल खन्नस। अल्लज़ी युवसविसु फी सुदूरिन नास। मिनल जिन्नाति वन नास।

इसके बाद एक बार सूरे फातिहा यानि अल्हम्दु शरीफ पढ़े :

ٱلْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ ٱلْعَـٰلَمِينَ ٢ ٱلرَّحْمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ ٣ مَـٰلِكِ يَوْمِ ٱلدِّينِ ٤ إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَإِيَّاكَ نَسْتَعِينُ ٥ ٱهْدِنَا ٱلصِّرَٰطَ ٱلْمُسْتَقِيمَ ٦ صِرَٰطَ ٱلَّذِينَ أَنْعَمْتَ عَلَيْهِمْ غَيْرِ ٱلْمَغْضُوبِ عَلَيْهِمْ وَلَا ٱلضَّآلِّينَ ٧

अल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन। अर्रहमानिनिर्रहीम। मालिकी यौमिद्दीन। इय्या क न अबुदु व इय्या क नस्तईन। इह दिनस्सिरातल मुस्तक़ीम। सिरातल्लज़ीना अन अमता अलय हिम। गैरिल मग़दुबी अलय हिम व- लज्जाल्लिन। आमीन।

इसके बाद एक बार सूरे बक़रह अलिफ़ लाम मीम से मुफ्लिहून तक पढ़ें:

الٓمٓ ١ ذَٰلِكَ ٱلْكِتَـٰبُ لَا رَيْبَ ۛ فِيهِ ۛ هُدًۭى لِّلْمُتَّقِينَ ٢ ٱلَّذِينَ يُؤْمِنُونَ بِٱلْغَيْبِ وَيُقِيمُونَ ٱلصَّلَوٰةَ وَمِمَّا رَزَقْنَـٰهُمْ يُنفِقُونَ ٣ وَٱلَّذِينَ يُؤْمِنُونَ بِمَآ أُنزِلَ إِلَيْكَ وَمَآ أُنزِلَ مِن قَبْلِكَ وَبِٱلْـَٔاخِرَةِ هُمْ يُوقِنُونَ ٤ أُو۟لَـٰٓئِكَ عَلَىٰ هُدًۭى مِّن رَّبِّهِمْ ۖ وَأُو۟لَـٰٓئِكَ هُمُ ٱلْمُفْلِحُونَ ٥

अलीफ लाम मीम। ज़ालिकल क़िताब ला रै ब फिहि हुदल्लील मुत्तक़ीन। अल्लज़ी न युअमिनु न बिल-गैबि व व युक़ीमूनस्सला-त व मिम्मा र-ज़क़्नाहुम् युन्फिकून। वल्लज़ी-न युअ्मिनू-न बिमा उन्ज़िला इलैका वमा उन्ज़िला मं क़ब्लिक व बिल आखि-रति हुम् यूकिनून। उलाइका अला हुदम्-मिर्रब्बिहिम् व उलाइ-क हुमुल्-मुफ़लिहून।

इसके बाद एक बार। आयते ख़ामशा पढ़े:

व इलाहुकुम इलाहुं वाहिद, लाइलाहा इल्ला हुवर्रहमानुर्रहीम । इन्ना रहमतल्लाहि क़रीबुम मिनल मुहसिनीन । वमा अरसल नाका इल्ला रहमतल लिल आलमीन । मा काना मुहम्मदुन अबा अहादिम मिंर रिजालिकुम वला किर रसूल्लाहि वखा तमन नबीय्यीन व कानल्लाहु बिकुल्लि शैइन अलीमा । इन्नल्लाहा व मलाई क त हू यूसल्लूना अलन्न् बिय्यि या अय्यु हल लज़ीना आ मनू सल्लू अलैहि व सल्लिमू तस्लीमा

इसके बाद एक बार कोई भी दरूद शरीफ पढ़े: ….

उसके बाद:

सुब्हाना रब्बिका रब्बिल इज्जति अम्मा यसिफुन व सलामुन अलल मुरसलीन वल हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन” अल फातिहा

अब अल फतिहा कहते हुए हाथ उठाये और कहे या अल्लाह मैंने जो कुछ पढ़ा चंद शुरते पढ़ी आयते पढ़ी.

अगर आपने पहले से कुछ पारा या सुरे पढ़ी है और उसको भी कुंडे की फातिहा में बखसना चाहते हैं। तो उसका भी नाम लें मान लीजिये आपने 10 पारा पढ़ा हुआ है और इसे कुंडे की फातिहा में बखसना चाहते हैं तो. ..

यू कहे: या अल्लाह 10 पारा पढ़ा गया इसके पढने में कही कोई गलती हो गई हो तो इसे अपने रहमो वा करम से मुआफ फरमा दें। और इन सब चीज़ों का सवाब सब से पहले हमारे आका हज़रत मुहम्मद मुश्तफा स. अ. को नज़र करता हूँ कबूल फरमा.

आपके सदके तुफैल से तमाम अम्बियाए कराम सहाबा ए अजाम उम्म्हातुल मुस्लेमीन तमाम औलिया उलमा सोह्दा सोहालेहीन और आदम अलैहिस्सलाम से ले कर अब तक जितने भी औलिया उलमा सोह्दा इस दुनिया में तशरीफ़ लाये हैं सब को नजर करता हूँ कबूल फरमा। सोह्दाये कर्बोबाला में जो 72 लोग शहीद हुए उन सब को नजर करता हूँ कबूल फरमा। और बिल्खुसुस इन सब चीज़ों का सवाब हज़रत सय्यदना इमाम जाफ़र सादिक़ रदियल्लाहु अन्हु का नज़र करता हूँ क़बूल फरमा।

इसके बाद आप चाहे तो फातिहा करवाने वालों के लिए दुआ भी कर सकते हैं और फिर अपना हाथ निचे कर लें आपकी कुंडे की फातिहा मुकम्मल हो जाएगी।

तो दोस्तों उम्मीद हैं ये जानकरी आपको पसंद आई होगी और आप समझ गए होंगे की कुंडे की नियाज़ की फातिहा कैसे करा जाता हैं अगर अब भी आपका कोई सवाल हैं तो हमें कमेंट करके लाज़मी बताये हम आपके सवाल का जवाब लाज़मी देंगे। शुक्रिया।

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About Md Ajmal

Md Ajmal isliba.com ke founder and ceo hain. inhe ilm deen hasil karna aur use dusro ke sath share karne me bahot dilchaspi hain. Aur bunyadi ilm deen hasil karna har Musalman par farz bhi hai. lihaza ye is kaam ko bahot dilchaspi aur jimmedari ke sath kar rahe hain.

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