muharram ke 10 roze ki fazilat: दोस्तों 10 मुहर्रम आशूरा का रोजा सुन्नत है क्योंकि 10 मुहर्रम का रोजा हजरत मोहम्मद स. अ. भी रखा करते थे। 10 मुहर्रम का रोजा बहुत ही फजीलता वाला है आइए 10 मुहर्रम के रोजे की फजीलत को तफसील जानते हैं।
10 मुहर्रम के रोजे की फजीलत
muharram ke 10 roze ki fazilat: मुहर्रम का महीना काबिले एहतेराम और अजमत वाला महीना है इस महीने में 10 मुहर्रम के रोजे की बड़ी फजीलत है।
जानकर बताते हैं की मुहर्रम के रोजे का सावाब तीस नफ्ली रोज के बराबर होता है यानी मुहर्रम में आप एक रोजा रखेंगे तो आपको 30 रोजे का सावाब मिलेगा।
और दो रखेंगे तो 60 रोजे का सावाब मिलेगा इसी तरह से आप जितना रोजा रखेंगे उतना सावब बढ़ता चला जायेगा।
रमजान के अलावा बाकी 11 महीना के रोजो में मुहर्रम के 10 वी तारीख के रोजे का सवाब सबसे ज्यादा है ।
इतना ही नही मुहर्रम के 10 तारीख का रोजा इतना बरकत वाला है की इस एक रोज की वजह से गुजरे एक साल के गुनाहे सगिरह माफ हो जाते हैं।
और उसके साथ में 9 या 11 मुहर्रम का रोजा रखना भी मुश्ताहब है ।
10 मुहर्रम ही नही मुहर्रम के पूरे महीने में रोजे रखने की फजीलत है
हमे मुहर्रम के महीने में जितना हो सके उतना रोजा रखना चाहिए क्योंकि ये बहुत ही अफजल महीना इस महीने में 10 मुहर्रम के साथ साथ नाफली रोज के सवाब भी बढ़ जाते है।
और आप मोहम्मद स. अ. मुहर्रम के महीने में रोजे रखने की तरगीब भी दिया करते थे लिहाजा इस महीने में हमें ज्यादा से ज्यादा रोजे रखने की कोशिश करनी चाहिए ।
मुहर्रम महीने के रोजे के हवाले से कुछ हदीस
हजरत अबू हुरैरा रजी० से रिवायत है की रसूल अल्लाह मोहम्मद सल्लालहु अलैहिवसल्लम फरमाते है : अफजल तरीन रोजे रमजान के बाद माहे मुहर्रम के है।
एक और हदीस में अब्दुल्लाह बिन अब्बास रजी० से रिवायत है की आप हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते हैं: जो शख्स यौमे अरफा का रोजा रखेगा तो उसके 10 साल के गुनाहे सगिराह का कफ्फारा हो जायेगा।
तो दोस्तों उम्मीद हैं आप समझ गए होंगे की मुहर्रम के रोजे कितने फजीलत वाले हैं और आपको मुहर्रम में रोजे क्यों रखना चाहिए अगर अब भी आपका कोई सवाल है तो आप कमेंट करके पूछ सकते हैं और इसी तरह की मजीद जानकारी के लिए आप हमारा WhatsApp group या चैनल भी ज्वाइन कर सकते हैं।