Roza Iftar ki Dua in Hindi: रमजान के पुरे महीने दुनिया भर के मुसलमान रोज़ा रखते हैं। यह सूरज निकलने से पहले शुरू होता हैं और सूरज डूबने के बाद खत्म होता हैं। दुनिया भर के मुसलमान सुबह सूरज निकलने से पहले फज़र की नमाज़ से पहले शहरी करते हैं और उसके बाद दिन भर कुछ भी खाते पीते नहीं हैं रात में जब सूरज डूब जाता हैं तो रोज़ा इफ्तार करते हैं यानि कुछ खा कर अपना रोज़ा कम्पलीट करते हैं। रोज़ा खोलने के दौरान एक दुआ पढ़ी जाती हैं जो की रोज़ा खोलने के टाइम पढ़ना बेहद ही जरुरी हैं आइये जानते हैं वो दुआ क्या हैं और इसे कैसे पढ़ा जाता हैं।
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रोजा इफ्तार करने की दुआ क्या है?
रोज़ा इफ्तार की दुआ ” अल्लाहुम्म इन्नि ल क सुम्तू व बि क आमन्तु व अलैक तवक्कल्तु व अला रिज्कि क अफ तरतू ” है।
Roza Iftar ki Dua in Hindi: अल्लाहुम्म इन्नि ल क सुम्तू व बि क आमन्तु व अलैक तवक्कल्तु व अला रिज्कि क अफ तरतू
iftar ki dua in roman english: ” Allahumma inni La Ka sumtoo wa Bi ka Aamantoo Wa Alaika Tawakkaltoo Wa Ala RIzkee Ka Aftartoo”.
iftar ki dua in arabic text: “اَللّٰهُمَّ اِنَّی لَکَ صُمْتُ وَبِکَ اٰمَنْتُ وَعَلَيْکَ تَوَکَّلْتُ وَعَلٰی رِزْقِکَ اَفْطَرْتُ”.
तर्जुमा: ऐ अल्लाह मैंने तेरी खातिर रोज़ा रखा और तेरे ऊपर ईमान लाया और तुझ पर भरोसा किया और तेरे रिज़्क़ से इसे खोल रहा हूँ।
इस दुआ का ज़िक्र अबू दावूद हदीस में हैं: अबू दावूद की एक हदीस में फ़रमाया गया हैं की नबी करीम स. अ. जब रोज़ा इफ्तार फरमाते तो ये दुआ पढ़ते थे “اللهم لك صمت وعلى رزقك أفطرت” . (Sunan Abi Dawud 2358)
इसके अलावा रोज़ा इफ्तार की एक और दुआ हैं जो कुछ इस तरह से हैं: ذَهَبَ الظَّمَأُ وَابْتَلَّتِ الْعُرُوقُ وَثَبَتَ الأَجْرُ إِنْ شَاءَ اللَّهُ
तर्जुमा: प्यास खत्म हो गई , रागे तर हो गईं , और अगर अल्लाह ने चाहा तो तौबा मिल गया ।
इस दुआ का भी ज़िक्र “अबू दावूद 2357” में हैं।
इन दोनों दुआ में से किसी भी दुआ को आप इफ्तार के वक़्त पढ़ सकते हैं दोनों ही दुआ हदीस से साबित हैं और उलमा भी दोनों ही दुआ के बारे में बताते हैं।
इफ्तार की दुआ कब पढ़नी है?
इफ्तार की दुआ इफ्तार करने के बाद पढ़नी चाहिए। लेकिन ज़्यादा तर लोग जानकारी न होने की वजह से इफ्तार की दुआ इफ्तार करने से पहले ही पढ़ लेते हैं। लेकिन हमें ऐसा नहीं करना चाहिए।
क्योंकि हदीस के मुताबिक इफ्तार की दुआ को इफ्तार करने के बाद ही पढ़ना चाहिए और आलाहज़रत ने भी इफ्तार की दुआ को इफ्तार करने के बाद ही पढ़ने के लिए कहा हैं। और इफ्तार की दुआ का मतलब भी बिलकुल ऐसा ही हैं जिससे साफ़ ज़ाहिर होता हैं की इसे इफ्तार के बाद पढ़ना चाहिए।
इफ्तार की दुआ का तर्जुमा कुछ इस तरह से हैं ; ऐ अल्लाह मैंने तेरी खातिर रोज़ा रखा और तेरे ऊपर ईमान लाया और तुझ पर भरोसा किया और तेरे रिज़्क़ से इसे खोल रहा हूँ। दुआ के तर्जुमा से साफ़ समझ में आ रहा हैं की इस दुआ को इफ्तार करने के बाद पढ़ना चाहिए।
इस दुआ को आप इफ्तार का एक खजूर खाने के बाद भी पढ़ सकते हैं और पूरी इफ्तारी करने के बाद यानि जब इफ्तारी करके दस्तरखान से उठ जाये तो उसके बाद भी पढ़ सकते हैं। , लेकिन इस दुआ को इफ्तारी यानि रोज़ा खोलने से पहले पढ़ने से बचना चाहिए अगर कोई पढ़ लिया तो कोई दिक्कत नहीं लेकिन हमें कोशिश करना चाहिए की हम या तो इफ्तारी के दौरान दुआ पढ़े या फिर इफ्तारी करने के बाद।
इफ्तारी की दुआ पढ़ने का सही वक़्त क्या हैं ?
जब इफ्तारी का टाइम हों जाये तो सबसे पहले बिमसिल्ला पढ़ कर इफ्तारी करना शुरू करें और उसके बाद या तो इफ्तारी के दौरान ही दुआ पढ़ लें या फिर इफ्तारी करने के बाद दुआ को पढ़े यही सही तरीका हैं।
रोजा खोलने से पहले क्या पढ़ना चाहिए?
रोज़ा खोलने से पहले बिस्मिल्लाह पढ़ना चाहिए और रोज़ा खोलने के बाद इफ्तार की दुआ पढ़नी चाहिए।
तो दोस्तों उम्मीद है ये जानकरी आपको पसंद आई होगी। और आप समझ गए होंगे की इफ्तारी या रोज़ा खोलने की दुआ क्या है। और इस दुआ को कैसे और कब पढ़ना चाहिए। अगर आपका इससे मुताल्लिक़ कोई सवाल हैं तो आप कमेंट करके पूछ सकते हैं। हम आपके साल का जवाब लाज़मी देने की कोशिश करेंगे।