हर साल इस्लामिक कैलेंडर के शाबान महीने में 15 तारीख की रात को शबे बारात मनाया जाता है। इस मौके पर इंडिया के ज़्यादा तर सुन्नी मुसलमान रात भर अल्लाह की इबादत करते हैं और सुबह रोज़ा रखते हैं। आइये जानते हैं साल 2025 में शबे बारात कब हैं किस दिन शबे बारात का रोज़ा रखा जायेगा पूरी जानकरी।
शबे बारात कब है 2025 ?
2025 mein shabe barat kab hai: साल 2025 में इंशाअल्लाह 13 या 14 फ़रवरी बरोज़ जुमेरात या जुम्मा को शबे बारात मनाया जायेगा। क्योंकि शबे बारात हर साल इस्लामिक कैलेंडर के शाबान महीने में मनाया जाता हैं जो की रमजान से पहले और रजब के बाद शुरू होता हैं। जैसा की हम सभी जानते की शबे बारात हों या कोई भी इस्लामिक त्यौहार चाँद की तारीख के हिसाब से ही मनाया जाता है और चाँद की तारीख कभी फिक्स नहीं रहती। जब चाँद निकलता हैं तभी क्लियर तारीख का पता चलता है ।
लिहाज़ा अगर साल 2025 में 31 जनवरी को शाबान का चाँद नज़र आएगा तो 13 फ़रवरी बरोज़ जुमेरात के दिन शबे बारात मनाया जायेगा और अगर 1 फ़रवरी को शबे बारात का चाँद नज़र आएगा तो 14 फ़रवरी बरोज़ जुम्मा के दिन शबे बारात मनाया जायेगा। वैसे तो ज़्यादा उम्मीद 31 जनवरी को चाँद नज़र आने की हैं लेकिन कोई भरोसा नहीं हैं 1 फ़रवरी को भी शाबान का चाँद नज़र आ सकता हैं।
लिहाज़ा हम कह सकते हैं की साल 2025 में शबे बारात या सुभ रात 13 या 14 फ़रवरी को मनाया जायेगा।
शब-ए-बारात का रोजा कब है 2025 में?
जैसा की आप जानते ही होंगे की शबे बारात के महीने में नफिल रोज़ा भी रखा जाता हैं जिसे बहुत अहम समझा जाता हैं। आइये जानते हैं साल 2025 में शबे बारात का रोज़ा कब है। शबे बारात में ज़्यादा तर लोग दो रोज़ा रखते हैं एक 14 शाबान को और दूसरा 15 शाबान को।
साल 2025 में शाबान का चाँद 31 जनवरी या 1 फ़रवरी को नज़र आएगा लिहाज़ा इस हिसाब से इस बार शाबान का पहला रोज़ा यानि 14 शाबान का रोज़ा 13 फ़रवरी या 14 फ़रवरी को होगा और दूसरा यानि 15 शाबान का रोज़ा 14 फ़रवरी या 15 फ़रवरी को होगा।
अगर शाबान का चाँद 31 जनवरी को नज़र आएगा तो पहला रोज़ा रखने के लिए आपको 12 तारीख की रात को शहरी करना होगा और 13 फ़रवरी को दिन भर रोज़ा रखना होगा। और अगर चाँद 1 फ़रवरी को नज़र आएगा तो पहला रोज़ा रखने के लिए आपको 13 फ़रवरी को रात में शहरी करना होगा और 14 फ़रवरी को दिन भर रोज़ा रखना होगा।
इसी तरह से दूसरा रोज़ा रखने के लिए आपको 13 या 14 फ़रवरी को रात में शहरी करना होगा और 14 या 15 फ़रवरी को दिन भर रोज़ा रखना होगा।
शबे बरात में क्या किया जाता है?
शबे बरात की रात को दुनिया भर के मुसलमान खास तौर से हिंदुस्तान पाकिस्तान और बांग्लदेश के मुसलमान रात भर अल्लाह की इबादत करते हैं क़ुरान की तिलवात करते हैं और रो रो कर अपने गुनाहों की माफ़ी मांगते हैं।
साथ ही जो इस दुनिया जा चुके हैं उनके लिए भी दुआ करते हैं बाक़ायदा इसके लिए एक महफ़िल सजाई जाती हैं और मुर्दों के लिए दुआ किया जाता हैं। साथ ही उनको इसाले सवाब पहुंचाया जाता हैं। इस रात सभी लोग अपने घरों में मस्जिदों में इबादत करते हैं क़ुरान पढ़ते हैं और उसका सवाब अपने घर के मरहूम को बख्स देते हैं।
साथ ही बहोत सी जगहों पर पुरे गांव या शहर के लोग इकठा होकर कब्रितान पर जाते हैं और वहा पर जाकर मरहूम के लिए दुआएं करते हैं। मोमबत्ती अगरबत्ती वगैरा जलाते हैं।
और कुछ जगहों पर तो लोग क़ब्रिस्तान पर लाइट वैगरा लगा के सजावट कर देते हैं। क़ब्रिस्तान ऐसा बना देते हैं जैसे लगता हैं यहाँ शादी या कोई प्रोग्राम वैगरा होने वाला हैं। याद रहे इसको उलमा लोग गलत मानते हैं इसको लेकर काफी विरोध भी होता हैं कुछ उलमा अगर बत्ती वगैरा सुलगाने को सही मानते हैं। वही कुछ इसे भी गलत मानते हैं।
ज़्यादा तर उलमाओं का मानना हैं की आप क़ब्रिस्तान पर जाकर मुर्दों के लिए दुआ कर सकते हैं बस बाकि इसके अलावा और कुछ नहीं कर सकते हैं जो बहोत से लोग क़ब्रिस्तान पर लाइट वगैरा लगा कर सजवाट कर देते हैं इसे सभी उलमा गलत और गुनाह का काम सझते हैं समझते हैं।
उलमाओं के मुताबिक शबे बारात में क्या करना चाहिए ?
शबे बारात के दिन हमें ईशा और फज़र की नमाज़ जमात से लाज़मी पढ़ना चाहिए वैसे तो हमें हमेशा पांचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना चाहिए लेकिन कभी कभी हमसे जमात छूट भी जाती हैं। लेकिन शबे बारात के मौके पर हमें किसी भी हालात में फज़र और ईशा की जमात नहीं छोड़ना चाहिए इस मौके पर हमें फज़र और ईशा की नमाज़ लाज़मी जमात के साथ ही पढ़ना चाहिए।
साथ ही शबे बारात की रात को हमें तौबा अस्तगफार करना चाहिए। जितना हों सकें उतना रो रो कर अल्लाह से अपने गुनाहों की माफ़ी मांगना चाहिए। और गुनाह से बचना चाहिए। इस रात में कोई भी गुनाह का काम नहीं करना चाहिए। और ज़्याद से ज़्यादा नबी करीम स . अ. पर दरूद भेजना चाहिए। जितना हों सकें उतना दरूद शरीफ पढ़ना चाहिए। फ़र्ज़ नमाज़ के साथ साथ जितना हों सकें उतना नफिल नमाज़ और क़ुरान की तिलावत करना चाहिए।
और इसका सवाब अपने घर के मरहूम (जो इस दुनिया से जा चुके हैं ) उनको बख्स देना चाहिए। साथ ही 14 और 15 शाबान का रोज़ा भी रखना चाहिए वैसे ये रोज़ा रखना जरुरी नहीं लेकिन अगर आप रख लेते हैं तो आपको इससे फायदा ही हासिल होगा क्योंकि शाबान का रोज़ा भी काफी अफ़ज़ल समझा जाता हैं।
उम्मीद हैं ये जानकारी आपको पसंद आई होगी और आप समझ गए होंगे की साल 2025 में शबे बरात कब है और इस दिन क्या होता हैं और हमें क्या करना चाहिए। अगर इस हवाले से आपके ज़हन में कोई सवाल हैं तो आप कमेंट करके पूछ सकते हैं हम आपके सवाल का जवाब लाज़मी देने की कोशिश करेंगे।