ईद उल अज़हा आने ही वाली हैं ऐसे में बहोत से लोग होंगे जो इस बार पहली बार क़ुरबानी करवाने का मंसूबा बना रहे होंगे और उन्हें समझ में नहीं आ रहा होगा की पहली क़ुरबानी किसके नाम से करवाना चाहिए लिहाज़ा आज मै आपको तफ्सील से बताने जा रहा हूँ की घर में पहली क़ुरबानी किसके नाम से करवाना चाहिए तो चलिए जानते हैं आसान भाषा में तफ्सील से।
पहली क़ुरबानी किसके नाम से करना चाहिए ?
pehli qurbani kiske naam se karna chahiye: पहली क़ुरबानी अपने नाम से करना चाहिए। बहोत से लोग क्या करते ही की पहली क़ुरबानी अपने नाम से करवा देते हैं दूसरी अपने पिता के नाम से करवा देते हैं चौथी अपने दादा , पांचवी अपनी दादी और इसी तरह से एक राऊंड लगता रहता हैं लोग सोचते हैं क़ुरबानी का यही सही तरीका और इसलिए बहोत से लोग पूछते है की पहली क़ुरबानी किसके नाम से करना चाहिए।
दोस्तों आपकी जानकरी के लिए बता दूँ की क़ुरबानी एक वाजिब इबादत हैं और ये जिसके ऊपर वाजिब होगी उसे अदा करना जरुरी हैं अगर आपके ऊपर हर साल क़ुरबानी वाजिब हो रही हैं तो आपको हर साल क़ुरबानी करना जरुरी हैं। अगर आप नहीं जानते की क़ुरबानी किसके ऊपर वाजिब हैं तो ये आर्टिकल लाज़मी पढ़े : क़ुरबानी किस पर वाजिब हैं
क़ुरबानी जिसके ऊपर वाजिब होगी उसे करना जरुरी होगा अगर वो क़ुरबानी नहीं करेगा तो वो गुनहगार होगा अब मान लीजिये अगर आपके ऊपर क़ुरबानी वाजिब है और आप अपने नाम से क़ुरबानी नहीं करवाते हैं और अपने अब्बा , दादा , दादी या अम्मा या बेटे के नाम से क़ुरबानी करवा देते हैं तो इस कंडीशन में जिस साल आपके ऊपर क़ुरबानी वाजिब थी और आपने अपने ऊपर क़ुरबानी न करवा करके दूसरे के नाम करवा दि तो इस सुरते हाल में जितनी भी वाजिब क़ुरबानी आपकी छूटी हैं उसे करवाना होगा वरना आप गुनहगार होंगे।
इसीलिए जिसके ऊपर क़ुरबानी वाजिब हैं उसे अपने लिए हर साल क़ुरबानी करवाना जरुरी हैं। हाँ अगर आप माशाल्लाह बहोत पैसे वाले हैं तो आप अपने नाम के साथ साथ अपने दादा ,दादी अम्मा ,अब्बा, बेटा, भाई सभी के नाम से क़ुरबानी करवा सकते हैं। और अगर आपके ऊपर क़ुरबानी वाजिब हैं और आप आपने नाम से क़ुरबानी न करवा करके दूसरे के नाम से करवाते हैं तो आप गुनाह गार होंगे।
अगर पांच साल आपके ऊपर क़ुरबानी वाजिब थी और आपने अपने नाम से सिर्फ एक ही क़ुरबानी करवाई बाकि अपने घर के राउंड लगवाते रहे तो इस कंडीशन में 4 साल अपने नाम क़ुरबानी न करवाने की वजह से आप गुनहगार होंगे और ये क़ुरबानी आपको करवाना होगा तभी आपकी क़ज़ा क़ुरबानी अदा होगी।
क्या पहली क़ुरबानी हज़रत मोहम्मद स. अ. के नाम से होनी चाहिए ?
बहोत से लोग ऐसे भी होते हैं जो समझते हैं की पहली क़ुरबानी हुज़ूर के नाम से करना चाहिए उसके बाद दूसरे साल से अपने नाम से करना चाहिए ये सोच भी सरा सर गलत हैं अगर आपके ऊपर क़ुरबानी वाजिब हो तो आपको पहले अपने नाम से ही क़ुरबानी करवाना होगा हाँ अगर आप पैसे वाले है तो आप अपने नाम के साथ साथ हुज़ूर के नाम से भी क़ुरबानी करवा सकते हैं।
लेकिन अगर आपके ऊपर क़ुरबानी वाजिब हैं और आप अपने नाम से क़ुरबानी न करवा करके हुज़ूर के नाम से करवाते हैं तो अपने नाम से क़ुरबानी न करने की वजह से आप गुनाह गार होंगे।
क्योंकि अगर आपके ऊपर क़ुरबानी वाजिब हैं तो आपके लिए अपने नाम से क़ुरबानी करना वाजिब हैं और अगर आप हुज़ूर के नाम से या अपने घर के किसी और के नाम से क़ुरबानी करते हैं तो ये नफ्ली क़ुरबानी है और ये जरुरी नहीं हैं अगर आप चाहे तो करवा सकते हैं और अगर न चाहे तो न करवाएं आप गुनाह गार नहीं होंगे।
दोस्तों उम्मीद हैं ये जानकरी आपको पसंद आई होगी अगर आपका कोई सवाल हैं तो आप कमेंट करके पूछ सकते हैं इंशाअल्लाह हम आपके सवाल का जवाब लाज़मी देंगे और इसी तरह की जानकारी और बेहतर खरीदारी के लिए कम पैसे में बेहतर इस्लामी लिबास और टोपी नक़ाब आदि मुनासिब रेट में हासिल करने के लिए हमारे साथ जुड़े रहे हैं शुक्रिया।