zakat kis par farz hai: इस्लाम की पांच बुनयादो (स्तंभ ) में से एक हैं ज़कात हर साहिबे निशाब मुसलमान पर ज़कात फ़र्ज़ हैं। अल्लाह ने क़ुरान में काई जगह ज़कात का ज़िक्र किया हैं और मुसलमानों पर ज़कात फ़र्ज़ कर दिया हैं।
अल्लाह ताला क़ुरान में सूरत अल बकरा में फरमाता हैं:
وَأَقِيمُوا الصَّلَاةَ وَآتُوا الزَّكَاةَ وَارْكَعُوا مَعَ الرَّاكِعِينَ
तर्जुमा: और नमाज़ क़ायम करो और ज़कात दो और (मेरे समक्ष) झुकनेवालों के साथ झुको। (2.43 sure al baqra )
इसी तरह से अल्लाह ने सूरत अल बकरा में आगे फ़रमाया हैं:
( وَأَقِيمُوا الصَّلَاةَ وَآتُوا الزَّكَاةَ ۚ وَمَا تُقَدِّمُوا لِأَنفُسِكُم مِّنْ خَيْرٍ تَجِدُوهُ عِندَ اللَّهِ ۗ إِنَّ اللَّهَ بِمَا تَعْمَلُونَ بَصِيرٌ
तर्जुमा: और नमाज़ क़ायम करो और ज़कात दो और तुम स्वयं अपने लिए जो भलाई भी पेश करोगे, उसे अल्लाह के यहाँ मौजूद पाओगे। निस्संदेह जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह उसे देख रहा है। (2.110 sure al baqra)
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दोस्तों अल्लाह ने काई जगह पर ज़कात का ज़िक्र किया हैं इसके साथ ही हदीस में भी ज़कात के बारे में काई जगह ज़िक्र किया गया हैं क्योंकि ये इस्लाम के 5 बुनयादों (स्तंभ ) में से एक हैं।
लिहाज़ा हम सब को चाहिए की हम चेक करें की हमारे ऊपर ज़कात फ़र्ज़ हैं या नहीं , और फ़र्ज़ हों तो जरूर ज़कात निकालें। वरना आप बहोत बड़े गुनाह गार होंगे।
और ज़कात ने देने की वजह से आप पर शख्त अज़ाब भी होगा। तो आइये जानते हैं ज़कात कब और किस पर फ़र्ज़ होता हैं।
कहा जाता हैं कि अगर कोई शख्स एक साल तक साहिबे निसाब रहता हैं तो उसके ऊपर जकात फ़र्ज़ हों जाता हैं। आइये आसान अल्फ़ाज़ में जानते हैं ज़कात कब और किस पर और कैसे फ़र्ज़ होता हैं।
ज़कात कब और किस पर फ़र्ज़ हैं ?
zakat kis par farz hai: ज़कात साहिबे निसाब पर फ़र्ज़ होता हैं साहिबे निसाब का मतलब होता हैं मालदार इस्लाम में मालदार को साहिबे निसाब कहते हैं। लेकिन ऐसे में सवाल आता हैं की मालदार कौन हैं क्योंकि हर शख्स अपने से अमीर को देख कर अपने आप को गरीब समझता हैं। तो आइये जानते हैं इस्लाम के हिसाब से साहिबे निसाब (मालदार ) कौन हैं।
साहिबे निसाब किसे कहते हैं ?
आप साहिबे निसाब हैं या नहीं ये चेक करने के लिए आपको अपने पास मौजूद चार चीज़ों को जोड़ना होगा।
- 1 सोना
- 2 चाँदी
- 3 पैसा: जो पैसा आपके बैंक में और जो आपके पास कैश हैं इन दोनों को जोड़ा जायेगा।
- 4 कारोबार बिज़नेस में लगा हुआ पैसा फिर चाहे वो आपके बिज़नेस में लगा हुआ हों। या फिर आपने कही इन्वेस्ट किया हों शेयर मार्किट वगैरा में या किसी बिज़नेस में।
अगर इन चारो में से आपके पास चारो चीज़ हैं तो आप चारो को जोड़ेंगे और अगर तीन हैं तो तीन को।
अगर आप कारोबार नहीं करते तो आप तीन ही चीज़ को जोड़ेंगे। इसी तरह से अगर आपके पास सोना भी नहीं है तो आप सिर्फ दो ही चीज़ रुपया और चांदी को जोड़ेंगे।
और इन सब को जोड़ने के बाद और जो क़र्ज़ आपके ऊपर हैं उसे माइनस करने के बाद अगर आप के पास साढ़े बावन तोला (लगभग 612 ग्राम ) चाँदी खरीदने का पैसा हो जाता हैं तो आप साहिबे निसाब हैं।
इन में से जो चीज़े आपके पास हैं उन सब को जोड़ने के बाद अगर आप साढ़े बावन तोला (लगभग 612 ग्राम ) चाँदी की क़ीमत का मालिक हों जाते हैं तो आप साहिबे निसाब हैं।
ज़कात कब फ़र्ज़ होता हैं ?
अगर कोई शख्स एक साल तक साहिबे निसाब रहता हैं तो उसके ऊपर जकात फ़र्ज़ हों जाता हैं।
मान लीजिये कोई अभी-अभी साहिबे निसाब हुआ हैं तो उस पर जकात फ़र्ज़ नहीं होगा। जब वो एक साल तक साहिबे निसाब रहेगा तो उस पर जकात फ़र्ज़ होगा। अगर एक साल कम्पलीट नहीं हुआ तो इस सूरत में जकात फ़र्ज़ नहीं होता हैं।
यानी कहने का मतलब जो एक साल तक साहिबे निसाब रहता हैं उस पर जकात फ़र्ज़ होता हैं जो कभी साहिबे निसाब हुआ था फिर तंगदस्त हो गया तो उस पर जकात फ़र्ज़ नहीं हैं।
कितना ज़कात देना फ़र्ज़ हैं ?
zakat kitna dena farz hai: हमें अपने सम्पति में से 2.5 जकात देना चाहिए हर साहिबे मुस्लिम पर अपनी संपत्ति में से 2.5 ज़कात देना फ़र्ज़ हैं ।
ज़कात निकालने का तरीका।
Zakat Nikalne ka tarika: आइये अब जकात निकालने का तरीका भी जान लेते हैं। ताकि आपको अपना जकात निकालने में आसानी हों। तो दोस्तों आपकी जानकरी के लिए बताता चालू ज़कात हमारी ज़रूरत से ज़्यादा पैसों या सम्पति पर फ़र्ज़ हैं।
जो आपकी ज़रूरत की चीज़ हैं उस पर ज़कात फ़र्ज़ नहीं हैं। अगर आप एक करोड़ कमाते हैं और पूरा खर्च हों जाता हैं और आपके पास सोना चांदी और संपत्ति भी नहीं हैं ज़्यादा तो इस सूरत में आपको एक भी रुपया ज़कात नहीं देना होगा।
ये समझाने के लिए हैं की ज़कात ज़रूरत से ज़्यादा चीज़ों पर फ़र्ज़ हैं वरना जो एक करोड़ कमाता हैं तो उसके पास तो बहोत सी गैर ज़रूरी चीज़ होती हैं।
ये समझाने के लिए था की अगर आप बहोत ज़्यादा कमाते हैं लेकिन आखिर में आपके पास कुछ नहीं बचता सब खर्च हों जाता हैं। तो इस सूरत में आपको एक भी रुपया जकात देने की ज़रूरत नहीं हैं ।
ज़कात निकालने के लिए आपको सबसे पहले अपने पास मौजूद चार चीज़ों को जोड़ना होगा 1.रुपया , 2.सोना ,3.चाँदी ,और 4.कारोबार में लगा हुआ पैसा।
अगर आपके पास चारो चीज़ हैं तो आप चारो जोड़ेंगे और अगर इनमे से कोई चीज़ आपके पास नहीं हैं तो आप उसे ही जोड़ेंगे जो आपके पास हैं।
मान लीजिये अगर आपके पास कारोबार नहीं हैं तो आप तीन ही चीज़ को जोड़ेंगे और अगर सोना भी नहीं हैं तो सिर्फ दो ही चीज़ को जोड़ेंगे यानि कहने का मतलब इन चारों में से जो-जो आपके पास हैं आपको उसे जोड़ना होगा।
इन सब को जोड़ने के बाद जो टोटल होगा उसमे से आपके ऊपर जो क़र्ज़ा हैं उसे माइनेस कर दें। और उस महीने का जो खर्चा हैं। उसे भी माइनेस कर दें उसके बाद जो टोटल बचे उसमे से ढाई परसेंट ज़कात निकालें।
तो दोस्तों उम्मीद हैं ये जानकरी आपको पसंद आई होगी। और आप समझ गए होंगे की ज़कात कब और किस पर फ़र्ज़ हैं। अगर अब भी आपका कोई सवाल हैं तो आप कमेंट करके पूछ सकते हैं। मै आपके सवाल का जवाब देने की पूरी कोशिश करूँगा।