मज़ार पर जाने के बाद सबसे पहले हमें फातिहा पढ़ना चाहिए। लेकिन बहोत से ऐसे लोग हैं जिन्हे मज़ार पर फातिहा कैसे पढ़ा जाएँ ये मालूम नहीं हैं इसीलिए आज मै आपको मज़ार शरीफ पर फातिहा पढ़ने का आसान और दुरुस्त तरीका बताऊंगा तो चलिए जानते हैं मज़ार पर फातिहा पढ़ने का सही तरीका।
मज़ार पर फातिहा पढ़ने का तरीका
Mazar Par Fatiha Padhne Ka Tarika Hindi: मजार पर फातिहा पढ़ने के लिए सबसे पहले मज़ार शरीफ के अंदर दाखिल हों जाएँ और याद रहे मज़ार शरीफ में हमेशा हमें पैर की तरफ से दाखिल होना चाहिए और फिर सर की तरफ जाकर खड़े हों जाना चाहिए। लेकिन अगर जगह न हो तो जहा जगह मिले वही खड़े हो जाना बेहतर हैं।
मज़ार शरीफ में दाखिल होने के बाद सबसे पहले नार्मल आवाज़ में “अस्सलामु अलैकुम वारहमतुल्लाही वबरकतुह” कहें उसके बाद अदब के साथ अपने हाथों को बांध लें और तीन मर्तबा दुरूदे गौसिया पढ़े।
Islamic Wall Frame Featuring Charo Qul and Surah Yasin (Wooden)
दुरूदे गौसिया
अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला सय्यिदिना व मौलाना मुहम्मदिम मअ्दि-निल जूदि वल क र मि व आलिही व बारिक व सल्लिम
अब इसके बाद एक बार सूरे फातिहा यानि अल्हम्दु शरीफ पढ़ें :
“अल्हम्दुलिल्लहि रब्बिल आलमीन अर रहमा निर रहीम मालिकि यौमिद्दीन इय्याक न अबुदु व इय्याका नस्तईन इहदिनस् सिरातल मुस्तक़ीम सिरातल लज़ीना अन अमता अलय हिम गैरिल मग़दूबी अलय हिम् व लद दाालीन (अमीन) *.”
अल्हम्दु शरीफ पढ़ने के बाद एक बार आयतल कुर्सी पढ़ें :
“बिस्मिल्ला–हिर्रहमा–निर्रहीम। अल्लाहु ला इलाहा इल्लाहू अल हय्युल क़य्यूम। ला तअ’खुज़ुहू सिनतुव वला नौम। लहू मा फिस सामावाति वमा फ़िल अर्ज़। मन ज़ल लज़ी यश फ़ऊ इन्दहू इल्ला बि इज़निह। यअलमु मा बैना अयदीहिम वमा खल्फहुम। वला युहीतूना बिशय इम मिन इल्मिही इल्ला बिमा शा..अ वसिअ कुरसिय्यु हुस समावति वल अर्ज़ वला यऊ दुहू हिफ्ज़ुहुमा वहुवल अलिय्युल अज़ीम।”
अब इसके बाद तीन मर्तबा सूरे इखलास यानि कुल हुवल लाहू अहद पढ़ें:
“कुल् हुवल्लाहू अ-हद। अल्लाहस् समद्ल। म् यलिद् व लम् युलद। व लम यकुल लहू कुफुवान”
सूरे इखलास पढ़ने के बाद फिर से तीन मर्तबा दुरूदे गौसिया पढ़ें :
“अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला सय्यिदिना व मौलाना मुहम्मदिम मअ्दि-निल जूदि वल क र मि व आलिही व बारिक व सल्लिम”
इतना सब कुछ पढ़ने के बाद अगर आप चाहे आपके पास टाइम हो तो आप मज़ीद यासीन शरीफ और सूरे मुल्क भी पढ़ सकते हैं।
अब अल्फ़ातिहा कहते हुए हाथ उठाये और कहे या अल्लाह मैंने जो कुछ भी पढ़ा इन सबके पढ़ने में अगर कोई गलती खामियां हो गई हो तो इसे अपने रहमों व करम से मुआफ फरमा दें और इस पर मुझे इतना सवाब पहुंचा जो तेरे करम के क़ाबिल हैं। और इन सब चीज़ों का सवाब इस बंदा ए खुदा …………………. को नज़र करता हूँ क़बूल फरमा।
NOTE: बंदा ए खुदा के बाद आप उनका नाम लेंगे जिनकी मज़ार शरीफ पर आप फातिहा पढ़ रहे होंगे।
मुबारक हो मज़ार शरीफ पर फातिहा पढ़ने का तरीका मुकम्मल हुआ इसके बाद अगर आप चाहे तो जिनकी दरगाह पर आप फातिहा पढ़ रहे हैं उनके वसीले से अल्लाह से दुआ भी कर सकते हैं।
उम्मीद हैं आप समझ गए होंगे की मज़ार शरीफ पर फातिहा कैसे पढ़ा जाता हैं। और इस आसान और दुरुस्त तरीके को फॉलो करते हुए आप आसानी के साथ मज़ार शरीफ पर फातिहा पढ़ लेंगे।
लेकिन फिर अगर आपको इस हवाले से कोई कन्फूज़न हैं कोई सवाल हैं तो आप बे झिझक हमसे कमेंट करके पूछ सकते हैं आपके सवाल का जवाब लाज़मी दिया जायेगा और इसी तरह की इस्लामी जानकरी और इस्लमिक प्रोडक्ट की अपडेट के लिए आप हमारा whatsapp ग्रुप भी ज्वाइन कर सकते हैं।
नोट ये आर्टिकल अहले सुन्नत वाल जमात के अक़ीदे के मुताबिक लिखे गए हैं ये जानकरी सिर्फ और सिर्फ जानकरी के लिए हैं। दीगर फ़िरक़ों की राय अलग भी हो सकती हैं। क्योंकि दरगाह पर फातिहा पढ़ने या दरगाह पर दुआ मांगने को लेकर मुस्लिमों में कुछ इख्तिलाफ भी हैं।
Dargah me sirni chadhane ka tarika bataye