Dua

दरगाह पर दुआ कैसे मांगे दरगाह पर हाज़री देने का सही तरीका क्या हैं

दरगाह पर दुआ कैसे मांगने दरगाह पर हाज़री देने का तरीका

dargah par dua kaise mange: : दरगाह पर तो ज़्यादा तर मुसलमान जातें हैं लेकिन क्या आप जानते हैं दरगाह पर दुआ मांगने का सही तरीका क्या हैं आइये जानते हैं की आप कैसे सही तरीके से दरगाह पर दुआ मांग सकते हैं।

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दरगाह पर दुआ मांगने को लेकर मुसलमानों में इख़्तलफ हैं मुस्लिमों की एक बड़ी जमात हैं जो दरगाह पर दुआ मांगने को गलत समझते हैं और कुछ लोग तो ऐसे भी हैं जो इसे शिर्क भी समझते हैं।

जबकि अहले सुन्नत वल जमात के मुस्लमान जिन्हे बरेलवी सुन्नी मुस्लमान भी कहा जाता हैं और शिया मुसलमान दरगाह पर दुआ मांगने को सही मानते हैं अगर आप भी बरेलवी सुन्नी मुसलमान हैं या शिया मुस्लिम हैं तो इस आर्टिकल को अंत तक लाज़मी पढ़े।

दरगाह पर दुआ कैसे मांगे?

दरगाह पर दुआ मांगना बहोत ही आसान हैं लेकिन फिर भी लोगो से गलती हो जाती हैं दरगाह पर हमें दरगाह वाले के वसीले से अल्लाह से दुआ करना चाहिए या फिर दरगाह में जो अल्लाह के वली आराम फरमा हैं उनसे अपने लिए दुआ करवाना चाहिए।

मिसाल के तौर पर आप ऐसे कह सकते हैं की ए अल्लाह के वाली मेरे लिए अल्लाह से दुआ करें की मेरा फला काम हो जाये या फिर आप ऐसे भी कह सकते हैं की ए अल्लाह इन अल्लाह के वली के सदक़े में मेरी दुआ क़बूल फरमा।

आपको कभी भी दरगाह पर जाके ये नहीं कहना है की ए अल्लाह के वली मेरा फला काम करवा दें मतलब आपको अल्लाह के वली से कुछ नहीं मांगना हैं बल्कि अल्लाह के वली के जरिये से अल्लाह से मांगना हैं। क्योंकि देने वाला अल्लाह हैं न की अल्लाह के वली जिनकी दरगाह पर आप गए हुए हैं।

Note: ऊपर जहा पर मैंने अल्लाह के वली लिखा है वहा पर आपको उन वली का नाम लेना हैं जिनके दरगाह पर आप रहेंगे दुआ करते टाइम।

दरगाह / मजार पर हाज़री देने का तरीका

आलाहज़रत फरमाते हैं की जब दरगाह शरीफ पर जाये तो पाइती की तरफ से जाएँ यानि पैरों की तरफ से दरगाह के अंदर दाखिल हों।

और चार हाथ के फसलें पर सर की तरफ जा कर खड़े हों जाएँ।

यानि दाखिल पैरों की तरफ से होना हैं और सर की तरफ चार हाथ के फैसले पर खड़े हों जाना हैं।

और उसके बाद नार्मल आवाज़ में दरगाह पर सलाम करें कुछ इस तरह से ” अस्सलामु अलैकुम वारहमतुल्लाही वबरकतुह ” उसके बाद अपने हाथों को बांध लें और तीन मर्तबा दूरदे गौसिया पढ़े।

दुरूदे गौसिया

अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला सय्यिदिना व मौलाना मुहम्मदिम मअ्दि-निल जूदि वल क र मि व आलिही व बारिक व सल्लिम

हदीस शरीफ़ : हुजूर रहमते आलम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लिम फ़रमाते हैं ! क़ियामत क़े दिन मुझ से सब में ज्यादा क़रीब वाे हाेगा ! जिस ने सब से ज्यादा मुझ पर दुरूद भेजा है

उसके बाद अल्हम्दु यानि सूरे फातिहा एक बार पढ़ें :

फिर उसके बाद आयतल कुर्सी एक बार पढ़ें।

उसके बाद सूरे इखलास यानि कुल हुवल लहू अहद 7 मर्तबा पढ़ें।

उसके बाद फिर से दुरूदे गौसिया तीन मर्तबा पढ़ें।

अब इसके बाद अगर आपके पास टाइम हों तो आप चाहे तो सूरे यासीन और सूरे मुल्क भी पढ़ सकते हैं।

इन तमाम चीज़ों को पढ़ने के बाद अब अल्लाह रब्बुल इज़त के बारगाह में कुछ इस तरह से दुआ करें: या अल्लाह मैंने जो कुछ भी पढ़ा इस पर मुझे इतना सवाब पहुंचा जो तेरे करम के क़ाबिल हैं और इन सब चीज़ों का सवाब इस बंदायें खुदा मक़बूल को नज़र पहुंचा यानि सब चीज़ों का सवाब उस वली को पहुंचा जिन की दरगाह पर आप हाजरी दिए हुए हैं।

अब इसके बाद आप की जो नेक ख्वाहिस अर्ज़ी हैं उसे दरगाह में आराम फरमा वाली के वसीले से अल्लाह से मांगे।

दुआ वगैरह करने के बाद जिस तरह से आप दरगाह में दाखिल हुए थे उसी तरह से सलाम करके दरगाह से वापस चले जाएँ और याद रहे आपको मज़ार को चूमना या मज़ार पर सजदा नहीं करना हैं क्योंकि आलाहज़रत ने इन तमाम कामों से मना फ़रमाया हैं इसलिए मज़ार को बगैर चूमे और सजदा करें मजार से बहार आ जाएँ।

तो दोस्तों उम्मीद हैं आप समझ गए होंगे की दरगाह पर दुआ कैसे मांगे और दरगाह पर हाज़री देने का सही तरीका क्या हैं अगर फिर भी आपका कोई सवाल हैं तो आप कमेंट करके पूछ सकते हैं और हमारे साथ जुड़ने के लिए आप हमारा whatsapp ग्रुप भी ज्वाइन कर सकते हैं।

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About Md Ajmal

Md Ajmal isliba.com ke founder and ceo hain. inhe ilm deen hasil karna aur use dusro ke sath share karne me bahot dilchaspi hain. Aur bunyadi ilm deen hasil karna har Musalman par farz bhi hai. lihaza ye is kaam ko bahot dilchaspi aur jimmedari ke sath kar rahe hain.

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