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आलाहजरत के नाम से फातिहा कैसे दिलाए/Ala Hazrat ki fatiha ka tarika

आलाहजरत के नाम से फातिहा कैसे दिलाए/Ala Hazrat ki fatiha ka tarika

दोस्तों अलाहजरत का उर्स शरीफ आने ही वाला हैं ऐसे में अगर आप आलाहजरत से मोहब्बत करते हैं तो आपको आलाहजरात के नाम से फातिहा करना आना चाहिए तो आइए जानते हैं की कैसे आप आसान तरीके से अलाहजरात के नाम से फातिहा पढ़ सकते हैं यानी कैसे आप अलाहजरत की फातिहा कर सकते हैं.

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आलाहजरत की फातिहा का आसान तरीका

Ala Hazrat ki fatiha ka tarika: आलाहजरत के नाम से फातिहा करना बहुत ही आसान हैं आपकी जानकारी के लिए बता दू कि जैसे आप नॉर्मल हजरत मुहम्मद स. अ. के नाम से फातिहा पढ़ते हैं ठीक उसी तरह आपको अलाहजरत के नाम से भी फातिहा पढ़ना होता है बस इसमें आपको बिलखुसुस लगा कर आलाहजरत का नाम लेकर उनको स्पेशल सवाब भेजना होगा तो आइए जानते हैं.

इसके लिए सब से पहले कोई भी दरूद शरीफ पढ़े जितने बार आप चाहे उतनी बार दरूद शरीफ पढ़े.

इसके बाद एक बार कोई भी एक सुरह पढ़े

इसके बाद एक बार सुरे काफेरून पढ़े

इसके बाद तीन बार सुरे इखलास पढ़े

इसके बाद एक बार सुरे फलक पढ़े

इसके बाद एक बार सुरे नास पढ़े

इसके बाद एक बार सुरे फातिहा पढ़े यानी अल्हमदुलिल्लाह पढ़े

इसके बाद सुरे बकरा अलिफ लाम मीम से लेकर मुफलेहुन तक पढ़े

इतना सब कुछ पढ़ने के बाद अब आखिरी में आयते खामशा पढ़े

आयते खामशा

“व इलाहुकुम इलाहुं वाहिद, लाइलाहा इल्ला हुवर्रहमानुर्रहीम । इन्ना रहमतल्लाहि क़रीबुम मिनल मुहसिनीन । वमा अरसल नाका इल्ला रहमतल लिल आलमीन । मा काना मुहम्मदुन अबा अहादिम मिंर रिजालिकुम वला किर रसूल्लाहि वखा तमन नबीय्यीन व कानल्लाहु बिकुल्लि शैइन अलीमा । इन्नल्लाहा व मलाई क त हू यूसल्लूना अलन्न् बिय्यि या अय्यु हल लज़ीना आ मनू सल्लू अलैहि व सल्लिमू तस्लीमा

एक बार कोई भी दरूद शरीफ पढ़े


सुब्हाना रब्बिका रब्बिल इज्जति अम्मा यसिफुन व सलामुन अलल मुरसलीन वल हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन” अल फातिहा

अब अल फतिहा कहते हुए हाथ उठाये और कहे या अल्लाह मैंने जो कुछ पढ़ा चंद शुरते पढ़ी आयते पढ़ी.

अगर आपने पहले से कुछ पारा या सुरे पढ़ी है और उसको भी आलाहजरात के नाम से बखसना चाहते हैं तो उसका भी नाम लें मान लीजिये आपने 10 पारा पढ़ा हुआ है और इसे आलाहजरत के नाम से बखसना चाहते हैं तो

यू कहे या अल्लाह 10 पारा पढ़ा गया इसके पढने में कही कोई गलती हो गई हो तो इसे अपने रहमो वा करम से मुआफ फरमा दें और इन सब चीज़ों का सवाब सब से पहले हमारे आका हज़रत मुहम्मद मुश्तफा स. अ. को नज़र करता हूँ कबूल फरमा.

आपके सदके तुफैल से तमाम अम्बियाए कराम सहाबा ए अजाम उम्म्हातुल मुस्लेमीन तमाम औलिया उलमा सोह्दा सोहालेहीन और आदम अलैहिस्सलाम से ले कर अब तक जितने भी औलिया उलमा सोह्दा इस दुनिया में तशरीफ़ लाये हैं सब को नजर करता हूँ कबूल फरमा सोह्दाये कर्बोबाला में जो 72 लोग शहीद हुए उन सब को नजर करता हूँ कबूल फरमा.

इतना कहने के बाद आप बिलखुसुस लगा कर आलाहजरत का नाम लेंगे कुछ इस तरह से: या अल्लाह मैंने जो कुछ भी पढ़ा उन सब का सवाब बिल्खुसुस आलाहजरत को नज़र करता हूँ कबूल फरमा

मुबारक हो आलाहजरत की फातिहा का तरीका मुकम्मल हुआ उम्मीद है ये तरीका आपको समझ में आया होगा क्योंकि मैंने एकदम आसान तरीके से आलाहजरत के नाम से फातिहा करने का तरीका बताया है अगर फिर भी आपको कही कुछ समझ नहीं आया हो या कोई सवाल हो तो आप बे झिजक कमेंट करके अपना सवाल हमसे पूछ सकते हैं इंशाअल्लाह आपके सवाल का जवाब लाज़मी दिया जाएगा शुर्किया.

2 thoughts on “आलाहजरत के नाम से फातिहा कैसे दिलाए/Ala Hazrat ki fatiha ka tarika

  1. Nasir says:

    Khwaja Garib nawaj ke naam se aur 12rabiwal

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