eid milad un nabi me kya karna chahiye: रबी उल अव्वल यानि ईद मिलादुन नबी का चाँद नज़र आ चूका हैं इंशाअल्लाह आज 16 सितम्बर को जश्ने ईद मिलादुन नबी मनाया जायेगा इस दिन पुरे दुनिया के मुसलमान हुजरू सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की विलादत की ख़ुशी में जश्ने ईद मिलादुन नबी मनाते हैं।
और पुरे घर को सजाते हैं और खूब धूम धाम के साथ जश्ने ईद मिलादुन नबी का जुलूस निकालते हैं। और समझते हैं की हुज़ूर से मोहब्बत का यही सही तरीका हैं , हां ये भी हुजरू से मोहब्बत का एक तरीका हों सकता हैं। लेकिन सिर्फ इतना करने से काम नहीं चलेगा हमें इसके अलावा भी जश्ने ईद मिलादुन नबी के मौके पर बहोत से काम करने चाहिए जो सबसे ज़्यादा जरुरी हैं आइये जानते हैं वो काम कौनसे हैं जो हमें 12 रबी उल अव्वल यानि जश्ने ईद मिलादुन नबी के मौके पर करना चाहिए आसान अल्फ़ाज़ में।
ईद मिलादुन नबी यानि 12 रबी उल अव्वल को क्या करना चाहिए ?
12 रबी उल अव्वल के दिन हमारे प्यारे आक़ा हज़रत मोहम्मद मुश्तफा स. अ. की विलादत हुई थी लिहाज़ा इस महीने में हमें अपने प्यारे आक़ा के बारे में जानने की कोशिश करनी चाहिए हमें आप स. अ. की ज़न्दगी को पढ़ना चाहिए हमें आपके खानदान आपके परिवार के बारे में जानने की कोशिश करनी चाहिए।
ऐसे बहोत से लोग हैं जिन्हे मालूम नहीं होता की हमारे प्यारे आक़ा के वालिद का क्या नाम क्या है आपकी पैदाइस किस सन में हुई थी आपने अपने नबूअत का एलान कब किया आदि।
हमें ईद मिलादुन नबी 12 रबी उल अव्वल के दिन जुलूस और झंडे लगाने से ज़्याद आपने नबी के बारे में जानने की कोशिश करनी चाहिए , बहोत से लोग ऐसे होते हैं जो जश्ने ईद मिलादुन नबी तो मानते हैं अपने घर में झंडे लगते हैं लेकिन वो जिनका मिलाद मनाते हैं उन्हें उनके बारे में ही कोई मालूमात नहीं होती।
तो मेरे प्यारे दोस्तों ऐसा कैसे चलेगा आप जिनका मिलाद मना रहे हों जिनके बदौलत आपको इस्लाम धर्म मिला हैं आपको उनके बारे में मलूमत तो होनी ही चाहिए ना ।
लिहाज़ा इस मिलादुन नबी के मौके पर सबसे पहला काम हमें जो करना चाहिए वो हैं प्यारे आक़ा हुज़ूर स. अ. के बारे में जानने का। हमें उनकी ज़िन्दगी को पढ़ कर उनके नक्से क़दम पर चलने की कोशिश करनी चाहिए उनकी सुन्नतों पर अमल करना चाहिए और गैर इस्लामी चीज़ें से बचना चाहिए ।
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बताए हुए तरीके पर अमल करना चाहिए
हुजरू सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़िन्दगी को पढ़ने के बाद हमें उनके बताये हुए तरीको पर अमल करने की कोशिश करनी चाहिए उनकी सुन्नतों पर अमल करना चाहिए हुज़ूर ने हमें जिन कामों से रोका हैं जो गुनाह के काम हैं उनसे बचना चाहिए। .
और जिन कामों को करने के लिए कहा है वो काम करना चाहिए जैसे नमाज़ पढ़ना चाहिए गरीबों की मदद करना चाहिए किसी को बे वजह परेशान नहीं करना चाहिए आदि।
लेकिन अफसोस हम लोग जश्ने ईद मिलादुन नबी के दिन अक्सर वही काम कर रहे होते हैं जिससे हमारे प्यारे आक़ा ने हमें रोका हैं मसलन नमाज़ छोड़ना, जुलूस में नाचना , हम में से ज़्यादा तर लोग नमाज़ छोड़ कर जश्ने ईद मिलादुन नबी मना रहे होते है।
और कहते हैं की हम हुज़ूर का मिलाद मना रहे हैं। अरे भाई ये कौनसा मिलाद मना रहें हैं आप की जिनका मिलाद मना रहे हैं उनके ही बताये हुए तरीके पर अमल नहीं कर रहे हैं।
इसी तरह से जश्ने मिलाद के जुलूस में बहोत से लोग म्यूजिक वाली नात लगा करके उस पर उछलते कूदते हैं और समझते हैं की हम हुज़ूर का मिलाद मना रहे हैं याद रहे इन तमाम हरकतों से आप कभी हुजरू को खुश नहीं कर सकते या तमाम काम करने से आपको सिर्फ और सिर्फ गुनाह मिलेगा इसके अलावा कुछ नहीं।
आप बेशक ईद मिलादुन नबी का जुलूस निकालों लेकिन अदब के साथ नात और दरूदे पाक पढ़ते हुए और बगैर कोई नमाज़ क़ज़ा किये अगर आप ऐसा जुलूस निकलोगे तो यक़ीनन अल्लाह और रसूल दोनों खुश होंगे।
याद रहे हुजरू सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते हैं की जो शख्स मुझसे मोहब्बत करता हैं वो मेरे तरीकों से मोहब्बत करता हैं। जो हुजरू की सुन्नतों से मोहब्बत रखता है वो हुजरू से मोहब्बत रखता हैं यदि आप हुजरू की सुन्नतों को छोड़ कर मोहब्बत के नाम पर सिर्फ जुलूसे मोहम्मदी निकलते हैं घरों को सजाते हैं तो आप हुज़ूर से मोहब्बत के नाम पर ढोंग कर रहे हैं।
कशरत से दरूद शरीफ पढ़ना है
इसके अलावा रबी उल अव्वल के महीने में हमें खूब कशरत के साथ दरूद शरीफ पढ़ना चाहिए जब जुलूसे मोहम्मदी निकलने तो उसमे भी हमें खूब कशरत के साथ दरूद शरीफ पढ़ना चाहिए क्योंकि ये महीना दरूदों वाला महीना हैं ये महीना सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम कहने का महीना हैं इस महीन में जितना दरूद शरीफ पढ़ लो उतना ही कम हैं।
नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते हैं जो मुझ पर एक बार दरूद शरीफ भेजता हैं अल्लाह उस पर 10 रहमते नाज़िल फरमाते हैं। और एक बार दरूद शरीफ पढ़ने से 100 परेशानियां दूर होती हैं 70 आख़ेरत की और 30 दुनिया की।
दरूद शरीफ एक ऐसी चीज़ हैं जिसकों पढ़ने से इंसान हुजरू सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़ियारत कर लेता जब हम अपने आक़ा पर दरूद शरीफ पढ़ते हैं न तो वो हमारे और हमारे वालिद के नाम के साथ हुज़ूर की खिदमत में फरिश्तों के जरिये पहुंचता हैं फ़रिश्ते हुजरू हुजरू सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को बताते हैं की फला शख्स ने आपको इतने बार दरूद शरीफ भेजा हैं।
इसलिए जश्ने ईद मिलादुन नबी के मौक़ पर जुलूस के दौरान घर पर है हर जगह जितना हों सकें उतना दरूद शरीफ पढ़ें।
दोस्तों उम्मीद हैं आप समझ गए होंगे की हमें ईद मिलादुन नबी के दिन जुलूस और घरों के सजाने के अलावा कौनसे काम करने चाहिए उम्मीद हैं आपको ये जानकरी पसंद आई होगी अगर आपका कोई सवाल हैं तो आप पूछ सकते हैं।