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क़ुरबानी करने का सुन्नत और सही तरीका

qurbani karne ka sunnat aur sahi tarika: कुर्बानी करने से पहले हमें यह 2 काम लाज़मी कर लेने चाहिए।

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1.छूरी तेज़ कर लेना चाहिए

जानवर की कुर्बानी करने से पहले छुरी को खूब अच्छी तरीके से तेज कर लें यह पक्का कर ले की छुरी मुरदार नहीं होना चाहिए ताकि कुर्बानी के वक्त जब जानवर की गर्दन पर छुरी चलाएं तो ज़बह करने में ज्यादा टाइम ना लगे और आसानी से जानवर की जान निकल जाएँ। और हां कभी भी जानवर के सामने छुरी तेज ना करें।

2.जानवर को चारा और पानी दिखा देना चाहिए

और कुर्बानी करने से पहले यह पक्का कर लें की आपका जानवर भूख ना हो भूखे जानवर की कभी भी कुर्बानी ना करें कुर्बानी करने से पहले जानवर को चार पानी वगैरा दिखा दे अगर वह भूखा हो तो उसे पहले भरपेट चारा खिलाएं प्यासा हो तो पानी पिलाएं खाली पेट जानवर की कुर्बानी ना करें।

जब छुरी वगैरा तेज हो जाए और जानवर को चारा पानी वगैरह दिखा दे और जानवर भूखा ना हो तो अब उसे जहां पर कुर्बानी करनी हो वहां पर लेकर जाएं। और नीचे मै जो तरीका बताने जा रहा हूं उसको फॉलो करते हुए सुन्नत और सही तरीके से क़ुरबानी करें।

क़ुरबानी करने का सही और सुन्नत तरीका आसान ज़बान में

qurbani karne ka sunnat aur sahi tarika:जानवर की कुर्बानी देने के लिए सबसे पहले जानवर को लेटा दें और इस तरह से लेटाएं की उसका पूरा जिस्म उत्तर की तरफ हो जाए। और उसका सर दक्षिण की तरफ हो जाए। और उसका चेहरा किबले की तरफ हो जाए ।

इसके बाद कुर्बानी की ये दुआ पढ़े: “इन्नी वज्जहतु वजहि य लिल्लज़ी फ त रस्मावाति वल अर्दा हनीफंव व् मा अ न मिनल मुशरिकीन इन न सलाती व नुसुकी मह्या य व ममाती लिल्लाहि रब्बिल आलमीन ला शरी क लहू व बि ज़ालि क उमिरतु व अ न मिनल मुस्लिमीन अल्लाहुम्मा ल क व मिनका बिस्मिल्लाहि अल्लाहु अकबर ।” इसके बाद बिस्मिल्लाह अल्लाह हू अकबर पढ़कर जानवर की गर्दन पर छुरी चलाएं और कोशिश करें कि तीन बार में जानवर को ज़िबा करें और अगर जरूरत पड़े तो इससे ज्यादा भी कर सकते हैं।

इसके बाद जब जानवर को ज़बा कर दें तो उसके बाद अगर आपने अपने नाम की कुर्बानी के जानवर को ज़बा किया है तो यह दुआ पढ़े यानी अगर कुर्बानी आपके नाम हुई है तो यह दुआ पढ़े: “अल्लाहुम्मा तकब्बल मिन्नी कमा तकब्बलता मिन खलीलिक इब्राहीम अलैहिस्सलाम व हबीबिक मुहम्मदिन सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम।”

और अगर किसी और के जानिब से कुर्बानी है और ज़बा आप कर रहे हैं तो अल्लाहुम्मा तकब्बल मिन्नी नहीं कहेंगे बल्कि अल्लाहुम्मा तकब्बल मिन कहेंगे और जिनके नाम कुर्बानी है उनका नाम लेंगे और उसके बाद उनके वालिद का नाम लेंगे ।

मान लीजिए जो जानवर आप ज़बा कर रहे हैं उसकी कुर्बानी आपकी जानिब से नहीं बल्कि अल्तमश नामी शख्स के नाम से हो रही हैं और उनके वालिद का नाम इरफान है तो आप इस तरह से दुआ पढ़ेंगे: “अल्लाहुम्मा तकब्बल मिन “अल्तमश इब्ने इरफान ” कमा तकब्बलता मिन खलीलिक इब्राहीम अलैहिस्सलाम व हबीबिक मुहम्मदिन सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम।”


कुर्बानी करने की दुआ क्या है?

क़ुर्बानी करने की दुआ :” इन्नी वज्जहतु वजहि य लिल्लज़ी फ त रस्मावाति वल अर्दा हनीफंव व् मा अ न मिनल मुशरिकीन इन न सलाती व नुसुकी मह्या य व ममाती लिल्लाहि रब्बिल आलमीन ला शरी क लहू व बि ज़ालि क उमिरतु व अ न मिनल मुस्लिमीन अल्लाहुम्मा ल क व मिनका बिस्मिल्लाहि अल्लाहु अकबर” . है इस दुआ को जानवर को ज़बा करने से पहले पढ़ा जाता है और जानवर को ज़बा करने के बाद अगर अपने नाम की क़ुरबानी है तो ये दुआ पढ़ा जाता है : अल्लाहुम्मा तकब्बल मिन्नी कमा तकब्बलता मिन खलीलिक इब्राहीम अलैहिस्सलाम व हबीबिक मुहम्मदिन सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम और अगर क़ुरबानी दूसरे की जानिब से हो तो अल्लाहुम्मा तकब्बल मिन के बाद उस शख्स का नाम वालिद के साथ लिया जाता है जिसके जानिब से क़ुरबानी हों। जैसे मान लीजिये क़ुरबानी अल्तमश के जानिब से है और उनके वालिद का नाम इरफ़ान है तो जानवर को ज़बह करने के बाद इस तरह से दुआ पढ़ेंगे : अल्लाहुम्मा तकब्बल मिन “अल्तमश इब्ने इरफान ” कमा तकब्बलता मिन खलीलिक इब्राहीम अलैहिस्सलाम व हबीबिक मुहम्मदिन सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम” .

इन दोनों दुआ को आप याद कर लीजिए और अपनी कुर्बानी खुद से करने की कोशिश कीजिए उम्मीद है आपको यह जानकारी पसंद आई होगी और आप समझ गए होंगे की कुर्बानी करने का सही और सुन्नत तरीका क्या है। अगर फिर भी आपका कोई सवाल है तो आप कमेंट करके पूछ सकते हैं हम आपके सवाल का जवाब लाजमी देंगे और इसी तरह की जानकारी के लिए आप हमारा व्हाट्सएप ग्रुप भी ज्वाइन कर सकते हैं। शुक्रिया

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