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ग़ीबत किसे कहते हैं क्या सच बोलना भी ग़ीबत है /gibat kise kahate hain

gibat kise kahate hain

दोस्तों जैसा की आप लोग जानते हैं की गीबत आज के वक़्त में आम हों चुकी हैं ज्यादा तर लोग एक दूसरे की गीबत करते हैं लेकिन बहोत से ऐसे लोग भी होते जो दूसरों की गीबत तो करते हैं लेकिन उनको लगता हैं की मैं गीबत नहीं कर रहा हूँ क्योंकि उन्हें पता ही नहीं होता की असल में गीबत कहते किसे हैं.

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लिहाज़ा आज मैं आपको बताने जा रहा हूँ की गीबत किसे कहते हैं आज मैं आपको बताऊंगा की क्या सच बोलना भी गीबत है क्या किसी का ऐब उजागर करना गीबत हैं.

गीबत किसे कहते हैं ?

gibat kise kahate hain:किसी की कोई ऐसी बात या ऐसा ऐब उसके पीठ पीछे दूसरों को बताना जिससे वो बुरा मान जाये तो वह गीबत कहलाती हैं. अब ऐसे में बहोत से लोग सोचते हैं की अगर मैं किसी का ऐसा कोई ऐब बताता हु जो उसके अंदर हैं तो क्या ये भी गीबत होगी. आइये जानते हैं इसके बारे में.

क्या सच बोलना भी गीबत हैं ?

इस हवाले से मै आपको मुस्लिम शरीफ की एक हदीस बताता हु इंशाअल्लाह आप समझ जायेंगे की क्या किसी का कोई ऐसा ऐब बताना भी गीबत है जो उसके अंदर हो. कुछ लोग कहते हैं ना की भाई मैं तो सच बात बता रहा हूँ. ये ऐब उसके अंदर हैं तो मैं बता रहा हूँ. ये गीबत थोड़ी हैं. मैं तो सच बात बता रहा हूँ. जो लोग ऐसा बोलते हैं उन्हें मुस्लिम शरीफ की इस हदीस पर गौर करना चाहिए.

”हज़रत अबू- हुरैरा रजि० से रिवायत है कि रसूलल्लाह (सल्ल०) ने फ़रमाया: क्या तुम जानते हो कि गीबात क्या है? उन्होंने यानि सहाबा ने कहा कि अल्लाह और उसका रसूल खूब जानने वाले है. आपने फ़रमाया अपने भाई का इस तरह तज़किरा करना जो उसे नापसंद हो. कहा गया: आप ये देखिये कि मेरे भाई में वो बात वाक़ई मौजूद हो जो मैं कहता हूँ (तो)? आपने फ़रमाया: जो कुछ तुम कहते हो, अगर उसमे मौजूद है तो तुमने उसकी गीबत की, अगर उसमे वो (ऐब) मौजूद नहीं तो तुमने उसपर बोहतान(आरोप ) लगाया है”

तो दोस्तों उम्मीद हैं आप समझ गए होंगे की असल में गीबत कहते किसे हैं. इस हदीस में अल्लाह के रसूल ने साफ कर दिया हैं की अगर तुम अपने भाई का ऐब किसी दुसरे को बता रहे हो और वह उसको पसंद नहीं करता तो वह गीबत है. और अगर उसके अंदर वह ऐब नहीं है जो आप दूसरों को बता रहे हैं तो आप उसपर इलज़ाम आरोप लगा रहे हैं और अगर उसके अंदर वो ऐब है तो वह गीबत हैं .

दोस्तों आप अपने दिमाग से खुद ही सोचों की आप किसी की गीबत क्यों करेंगे जब उसके अंदर वो ऐब होगा तभी तो आप उसको दूसरों को बतायेंगे अगर वह ऐब उसके अंदर होगा ही नहीं तो आप दूसरों को बतायेंगे क्या और बाकि जो फर्जी इल्माज़ लगा कर लोग किसी को बदनाम करते है तो वह खुद ही जान रहे होते हैं की मैं झूट बोल रहा हु, मैं उसपर आरोप लगा रहा हूँ.

तो उम्मीद हैं आप समझ गए होंगे और आइन्दा सच के नाम पर किसी की गीबत नहीं करेंगे खास करके औरते जो इकठा होकर किसी ना किसी की गीबत शुरू कर देती हैं और फिर कहती हैं की मुझसे क्या करना हैं मैं तो सच बात बता रही हूँ बस. मैं गीबत नहीं करती मेरी आदत नहीं हैं की मैं किसी की गीबत करू. जब की वह गीबत कर रही होती हैं और उन्हें लगता हैं की वह सिर्फ सच बात बता रही हैं.

गीबत करने का गुनाह

दोस्तों गीबत गुनाह का काम हैं हर मुसलमान को इससे बचना चाहिए गीबत के बारे में अल्लाह ताला कुरान में फरमाता हैं

” ऐ इमान वालो बहुत से गुमानों से बचो, बाज़ गुमान गुनाह होते हैं. और किसी की टोह में न लगों, और एक दुसरे की गीबत न करो. क्या तुम में से कोई यह पसंद करेगा कि वह अपने मरे हुए भाई का गोश्त खाये? इससे तो तुम खुद नफ़रत करते हो! और अल्लाह से डरो. बेशक अल्लाह बड़ा तौबाकुबूल करने वाला , बहुत मेहरबान है.” (सूरत न० 49 आयत न० 12, क़ुरान

तो दोस्तों उम्मीद हैं की आपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा इसे अपने दोस्तों में खास करके ख्वातीन में शेयर लाज़मी करे और अगर गीबत से मुतालिक आपका कोई सवाल हैं? तो आप कमेंट करके पूछ सकते हैं।

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